The English and Hindi Translation is given below
শ্রাবন মাসে তারকেশ্বর মন্দিরে বাইরে থেকে বাঁকে করে জল আনা সম্পূর্ণ নিষিদ্ধ। ভক্তরা তারকেশ্বর মন্দিরে এসে এখান থেকে জল নিয়ে বাবার পূজা অর্চনা করতে পারবেন। বর্তমানে তারকেশ্বর মন্দির ভোর ৫ টা থেকে বেলা ২ টা পর্যন্ত ও সন্ধ্যা ৬ টা থেকে রাত্রি ৮ টা পর্যন্ত খোলা আছে।
বাবা তারকনাথ এর মন্দির প্রত্যেক দিন ভোর বেলা সূর্যদয় এর পর খোলে এবং তখন বাবার পূজা ও মঙ্গল আরতি হয়। তারপর মন্দির ভক্ত দের পূজার জন্য খুলে দেওয়া হয়। এর পর আবার ০৯:৩০ মিনিট থেকে ১১.০০ টা পর্যন্ত বাবার শৃঙ্গার, পূজা ও আরতি হয়। এই সময় এর জন্য ভক্ত দের মন্দির এর গর্ভ গৃহে প্রবেশ করে পূজা বন্ধ থাকে। আবার বেলা ১১:০০ টা থেকে দুপুর ২ টা (রবিবার সোমবার ও ছুটির দিন দুপুর ০২.৩০ পর্যন্ত ) পর্যন্ত ভক্তরা মন্দির এর গর্ভ গৃহে প্রবেশ করে পূজাপাঠ করতে পারেন, এর পরে ভক্ত দের আর মন্দির এর গর্ভ গৃহে প্রবেশ করতে দেওয়া হয় না। এই দুপুর বেলা বাবাকে নানা অলঙ্কার ও ফুল দিয়ে রাজবেশে সাজানো হয়। এই সময়ই বাবার পূজা ভোগ এবং আরতি হয়। এর পর বাবার বিশ্রাম এর জন্য মন্দির বন্ধ থাকে। মন্দির আবার সন্ধের পর খোলে তখন বাবার পূজা এবং সন্ধ্যারতি হয়।
বর্তমানে কোভিড-১৯ অতিমারীর জন্য মন্দির সকাল ৬ টা থেকে দুপুর ১ টা পর্যন্ত খোলা থাকবে। মন্দিরে ভক্তরা বাবা তারাকনাথকে দর্শন, জল ঢালা (চোঙের মাধ্যমে) এবং পূজা করতে পারবেন শ্রাবন মাসের নিয়মে। সকাল ৬ টা থেকে দুপুর ১ টা পর্যন্ত নাপিতশালাতে মানসিক এর কেশ ও কাটা যাবে। সন্ধ্যে বেলা মন্দির সন্ধ্যা ৬ টা থেকে রাত্রি ৮ টা পর্যন্ত খোলা থাকবে ভক্ত দের সন্ধ্যা আরতি দর্শনের জন্য।
ভক্তরা কোভিড বিধি অনুযায়ী সামাজিক দূরত্ব বজায় রেখে মুখে মাস্ক পড়ে বাবা তারাকনাথের দর্শন, জল ঢালা (চোঙের মাধ্যমে) এবং পূজা করতে পারবেন। আপনারা যারা বাবা তারাকনাথকে পূজা করতে আসবেন তারা দুপুর ১ টার মধ্যে আসবেন।
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Hindi Translation :
श्रावण मास में तारकेश्वर मंदिर में बाहर से जल लाना पूर्णत: वर्जित है। भक्त तारकेश्वर मंदिर में आ सकते हैं और यहां से पानी से बाबा तारकनाथ की पूजा कर सकते हैं। वर्तमान में तारकेश्वर मंदिर सुबह 5 बजे से दोपहर 2 बजे तक और शाम 6 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है।
बाबा तारकनाथ का मंदिर हर दिन सुबह सूर्योदय के बाद खुलता है और फिर बाबा की पूजा और मंगल आरती की जाती है। इसके बाद मंदिर को भक्तों की पूजा के लिए खोल दिया जाता है। उसके बाद फिर से 09:30 से 11.00 बजे तक बाबा का पूजा और आरती की जाती है। इस समय के लिए भक्त मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करना माना है। फिर से, भक्त मंदिर के गर्भगृह में सुबह 11:00 बजे से दोपहर 2 बजे तक प्रवेश कर सकते हैं (रविवार, सोमवार और छुट्टियां दोपहर 2.30 बजे तक), जिसके बाद भक्तों को गर्भगृह में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। दोपहर बाबा तारकनाथ को तरह-तरह के आभूषणों और फूलों से सजाया जाता है। इस दौरान बाबा की आरती होते है और भोजन परोसा जाता है। उसके बाद पिता के विश्राम के लिए मंदिर को बंद कर दिया जाता है। शाम को जब फिर से मंदिर खुलता है तो पिता की पूजा की जाती है और संध्या आरती किया जाता है।
फिलहाल मंदिर कोविड-19 अतिमारी के लिए सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे तक खुला रहेगा। मंदिर में, भक्त बाबा तारकनाथ के दर्शन कर सकते हैं, पानी (एक फ़नल के माध्यम से) डाल सकते हैं और श्रावण मास के नियमों के अनुसार पूजा कर सकते हैं। मानसिक बाल भी नाई की दुकान पर सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे तक काटे जा सकते हैं। शाम को मंदिर भक्तों के शाम के आरती दर्शन के लिए शाम 6 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहेगा।
श्रद्धालु बाबा तारकनाथ के दर्शन कर सकेंगे, पानी (एक फ़नल के माध्यम से) डाल सकेंगे और कोविड नियमों के अनुसार सामाजिक दूरी बनाए रखते हुए फेस मास्क पहनकर पूजा कर सकेंगे।