বাবা তারাকনাথের কাছে ধর্ণা দিয়ে বাবার আশীর্বাদ পেয়ে, রোগ থেকে মুক্তি হবার একটি সত্য ঘটনা আপনাদের বলবো।
অনিমেষ বাবুর পরিবারের আজ খুব আনন্দের দিন, অনেকদিন পর ঈশ্বর তাদের দিকে মুখ তুলে চেয়েছেন। বিয়ের অনেক দিন হয়ে গেলেও অনিমেষ বাবুর বৌমার কোনো বাচ্ছা হচ্ছিলো না। ভগবানের আশীর্বাদে আজ বাড়ির বংশ প্রদীপ তাদের নাতির জন্ম হয়েছে।
নাতির অন্নপ্রাশন খুব সমারোহে দিয়েছেন অনিমেষ বাবু। বাড়িতে নতুন সদস্যের আগমনে সবাই খুব খুশি ছিল। অনিমেষ বাবুর নাতি আস্তে আস্তে বড়ো হতে লাগলো। বাছাটি সবে একপা দুপা করে হাঁটা শিখেছে, তার টলটল পায়ে হাঁটা দেখে বাড়ির সবার আনন্দ আর ধরে না। এ পর্যন্ত সব ঠিক ঠাক চলছিল। একদিন বাচ্ছাটি হাঁটতে গিয়ে বেশ জোরে পড়ে যায় তাতে বাচ্ছাটির বাঁ হাত টি ভেঙে যায়। ডাক্তার দেখিয়ে প্লাস্টার করে ঠিক হয়। আবার একদিন পড়ে গিয়ে ডান পা টা ভেঙে যায়।
তখন তারা খুব ভয় পেয়ে যান, এবং বুঝতে পারেন না কি ভাবে পড়ে গেলেই সঙ্গে সঙ্গে হাড় ভেঙে যাচ্ছে। তারা কলকাতায় বড়ো ডাক্তার বাবুর সঙ্গে যোগাযোগ করেন। ডাক্তারবাবু সব পরীক্ষা করে দেখে বলেন যে, বাচ্ছাটি একটি জটিল রোগে আক্রান্ত। এই রোগের ফলে বাচ্ছাটির হাড় খুব দুর্বল ও ভঙ্গুর হয়ে গেছে, যার ফলে সামান্যতম আঘাতেই তা ভেঙে যাচ্ছে।
এই কথা শুনে তাদের মাথায় আকাশ ভেঙে পড়লো। অনিমেষ বাবুর স্ত্রী ঠিক করলেন বাবা তারাকনাথের কাছে যাবেন তার নাতির এই জটিল রোগ থেকে মুক্তির জন্য।
অনিমেষ বাবুর স্ত্রী তারকেশ্বরে এসে বাবা তারাকনাথের কাছে ধর্ণা দিলেন তার নাতির রোগ মুক্তির জন্য। চারদিন পর বাবা তারাকনাথের দয়া হলো এবং তিনি বাবার মহৌষধ(আশীর্বাদে) পেলেন। তার নাতি বাবা তারাকনাথের মহৌষধ (আশীর্বাদে) খেয়ে একদম সুস্থ হয়ে গেছে।
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हिंदी अनुवाद:
मैं आपको बाबा तारकनाथ को धरने के माध्यम से तारकनाथ शिवा के आशीर्वाद से बीमारी से छुटकारा पाने की सच्ची कहानी बताऊंगा।
अनिमेष बाबू के परिवार के लिए आज का दिन बहुत ही खुशी का दिन है, बहुत दिनों बाद भगवान ने उनकी तरफ मुंह किया है। शादी के कई दिनों बाद अनिमेष बाबू की बहू के कोई संतान नहीं थी। ईश्वर की कृपा से आज उनके पौत्र का जन्म हुआ है।
अनिमेष बाबू ने एक बहुत ही समारोह में अपने पोते को अन्नप्रासन (पहले चौल खाना) दिया। घर में नए सदस्य के आने से सभी बेहद खुश थे। अनिमेष बाबू का पोता धीरे-धीरे बड़ा हो रहा था। बच्चा ने मुश्किल से चलना सीखा है, और घर में हर कोई अब उसे चलते हुए देखकर खुश है। अब तक सब कुछ ठीक चल रहा था। एक दिन बच्चा चलते-चलते गिर गया और उसका बायां हाथ टूट गया। डॉक्टर ने आकर बच्चे को ठीक किया था। एक दिन फिर वह गिर गया और उसका दाहिना पैर टूट गया।
तब वे बहुत डर जाते हैं, और समझ नहीं पाते हैं कि गिरने के तुरंत बाद हड्डियां कैसे टूट जाती हैं। उन्होंने कलकत्ता में चिकित्सक बाबू से संपर्क किया। डॉक्टर ने सबकी जांच की और कहा कि बच्चा एक जटिल बीमारी से पीड़ित है। इस बीमारी के कारण बच्चे की हड्डियाँ बहुत कमजोर और नाजुक हो जाती हैं, जो उन्हें थोड़ी सी चोट लगने पर टूट जाती है।
यह सुनकर आकाश उनके सिर पर गिर पड़ा। अनिमेष बाबू की पत्नी ने फैसला किया कि वह इस जटिल बीमारी से छुटकारा पाने के लिए तारकनाथ मंदिर जाएंगी।
अनिमेष बाबू की पत्नी तारकेश्वर आई और उन्होंने अपने पोते को ठीक करने के लिए बाबा तारकनाथ को धरना दिया। चार दिन बाद, पिता तारकनाथ को उन पर दया आई और उन्होंने दवा (आशिर्बाद ) प्राप्त की। बाबा तारकनाथ दवा (आशिर्बाद) लेने के बाद ठीक हो गए है.