The English and Hindi translation is given below
সকালে ঘুম থেকে ওঠা থেকে রাত্রে ঘুমোতে যাওয়ার আগে পর্যন্ত আমরা শুধু দ্বায়িত্ব পালনই করে চলেছি। পরিবারের দ্বায়িত্ব, বাবা ও মা এর দ্বায়িত্ব, সন্তানের দ্বায়িত্ব, সামাজিক দ্বায়িত্ব, কর্মক্ষেতের দ্বায়িত্ব, আরো কত কিই দ্বায়িত্ব আমাদের সারাদিন পালন করে যেতে হয়। কিন্তু কখনো কি আমরা ভেবে দেখেছি যে এত সব দায়িত্বের মধ্যে আমরা আমাদের কর্তব্য কে ভুলে যাচ্ছি না তো ? পরমাত্মা সর্বশক্তিমান ঈশ্বরের করুনায় আমাদের জন্ম এবং মৃত্যুর পর আমরা সেই সর্বশক্তিমান ঈশ্বরের মধ্যেই বিলীন হয়ে যাবো। আমাদের প্রত্যেকের উচিত সারাদিনের মধ্যে কিছু সময় তার স্মরণ করা। আমরা যারা গৃহী মানুষ তাদের, সাধু সন্ন্যাসী দের মতো সারাদিন ঈশ্বরের চিন্তা করার মতো সময় নেই। গৃহী মানুষরা তার সমস্ত রকম দায় দ্বায়িত্ব সৎ ভাবে পালন করে দিনের মধ্যে একবার অন্তত ঈশ্বর কে স্মরণ করলেই তিনি খুশি হন এবং আমাদের সঠিক মার্গ দর্শন করেন। আজকে আপনাদের এই নিয়েই একটি গল্প শোনাবো।
নারদমুনি সবসময় ভগবান
নারায়ণের নামগান করে বেড়ান। একবার তার জানতে খুব ইচ্ছা হলো যে ভগবান
নারায়ণের সবথেকে বড়ো ভক্ত কে। নারদমুনি তার জিজ্ঞাসা নিয়ে বৈকুন্ঠ ধামে ভগবান
নারায়ণের কাছে গেলেন এবং বললেন তার মনের ইচ্ছা। ভগবান নারায়ণ সব কিছু
শুনে বললেন যে ধরা ধামে অবন্তীপুর গ্রামে যে গরীব কৃষক আছেন, সে হলো
তার সবচেয়ে বড়ো ভক্ত। এই কথা শুনে নারদমুনি সেই অবন্তীপুর গ্রামে কৃষকের বাড়িতে ছদ্মবেশ
ধরে অতিথি হিসাবে গেলেন এবং সেই কৃষকের উপর লক্ষ্য রাখতে লাগলেন যে, সে সারা দিনে
কতবার ভগবানের নামগান করে। নারদমুনি লক্ষ্য করলেন যে কৃষকটি সারাদিনের মধ্যে
সকাল বেলা ঘুমথেকে উঠে আর রাত্রি বেলা ঘুমোতে যাবার আগে মাত্র দুই বারই সে ভগবানকে
স্মরণ করে। এই দেখে সে খুব অবাক হয়ে গেলো এবং ভাবতে লাগলো হয়তো প্রভুর বিচারে
কোনো ভুল হয়েছে। নারদমুনি বৈকুন্ঠ ধামে গিয়ে ভগবান নারায়ণকে বললেন "প্রভু এ আপনার কেমন
বিচার। আমি সারাদিন আপনার নামগান করে বেড়াই আর ওই চাষীটি সারাদিনে কেবলমাত্র
দু বার আপনাকে স্মরণ করেই সে আপনার সবথেকে বড়ো ভক্ত হয়ে গেলো"। ভগবান
নারায়ণ তখন নারদমুনিকে বললেন "সময় এলে সব বুঝতে পারবে"।
বেশকিছুদিন পরে ভগবান
নারায়ণ নারদমুনিকে ডাকলেন এবং বললেন যে "তোমাকে একটি দ্বায়িত্ব
দেব তুমি কি সেটা পালন করতে পারবে" ? নারদমুনি বললেন " আপনি যা বলবেন তাই করবো
প্রভু"। তখন দর্পহারী নারায়ণ বললেন ওই যে দেখছো কানায় কানায় ভর্তি একবাটি তেল
রাখা আছে, ওই তেলের বাটি টিকে হাতে নিয়ে তোমায় একবার পৃথিবী প্রদক্ষিন করে আসতে হবে, কিন্তু খুব সাবধান একফোঁটা তেল যেন বাটি থেকে নীচে না পড়ে, তা হলেই
পৃথিবী ধ্বংস হয়ে যাবে"।
নারদমুনি বললেন "কোনো চিন্তা নেই প্রভু, আমি এক
ফোঁটা তেলও মাটিতে পড়তে দেব না"।
এর অনেকদিন পর নারদমুনি
বৈকুন্ঠধামে প্রভু নারায়ণের সামনে এলেন এবং বললেন "প্রভু আমার পরিক্রমা
সম্পূর্ণ হয়েছে এবং একফোঁটা তেল ও মাটিতে পড়েনি"। দর্পহারী
নারায়ণ বললেন "খুব ভালো নারদ, কিন্তু একটা কথা বলো এই কদিনে কত বার আমার নামগান
করেছো" ? নারদমুনি বললেন "প্রভু আপনি বলেছিলেন যে একফোঁটা তেল যদি মাটিতে
পড়ে তা হলে পৃথিবী ধ্বংস হয়ে যাবে, তাই আমার সব মনোসংযোগ ওই তেলের বাটিতেই ছিলো, আমি
আপনার নামগান করার কথা ভুলে গিয়েছিলাম, আমার অপরাধ নেবেন না"। তখন
প্রভু নারায়ণ বললেন "ওই চাষী দিনের পর দিন তার সব কাজ দায়দ্বায়িত্ব
পালন করে তবুও আমাকে দিনের মধ্যে দু বার স্মরণ করে, আর তুমি এই কাজ করতে গিয়ে
আমাকে স্মরণ করার কথা ভুলেই গেলে"। তখন নারদমুনি তাঁর ভুল বুঝতে
পারেন, এবং তার অহংকারের জন্য প্রভুর কাছ থেকে ক্ষমা চেয়ে নেন।
আমি আপনাদের সবাইকে বলবো দিনের মধ্যে কিছু সময় সর্বশক্তিমান ঈশ্বরের স্বরণ করুন, তিনিই আপনাদের মনের সমস্ত অন্ধকারের বিনাশ করবেন এবং তাঁর ভক্তির আলোয় উদ্ভাসিত করে মুক্তির পথ দেখাবেন।
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सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक हम बस अपना फर्ज निभा रहे हैं। पारिवारिक जिम्मेदारियां, माता-पिता की जिम्मेदारियां, बच्चे की जिम्मेदारियां, सामाजिक जिम्मेदारियां, कार्यस्थल की जिम्मेदारियां, हमें दिन भर में और कितनी जिम्मेदारियां निभाना परता हैं। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि इतनी सारी जिम्मेदारियों में से अपने कर्तव्य को नहीं भूल रहे हैं? सर्वशक्तिमान ईश्वर की कृपा से, हमारे जन्म और मृत्यु के बाद, हम उस सर्वशक्तिमान ईश्वर में लीन हो जाएंगे। हम में से प्रत्येक को दिन भर में किसी न किसी समय उसे याद करना चाहिए। हममें से जो घर के लोग हैं, संतों की तरह, उनके पास दिन भर भगवान के बारे में सोचने का समय नहीं है। भगवान प्रसन्न होते हैं जब गृहस्थ दिन में कम से कम एक बार अपनी सभी जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभाकर भगवान को याद करते हैं और हमें सही रास्ता दिखाते हैं। आज मैं आपको इसके बारे में एक कहानी बताऊंगा।
नारदमुनि हमेशा भगवान नारायण के नाम का जाप करते हुए घूमते हैं। एक बार उन्होंने जानना चाहा कि भगवान नारायण का सबसे बड़ा भक्त कौन है। नारदमुनि ने अपना प्रश्न लिया और वैकुंठ धाम में भगवान नारायण के पास गए और अपनी इच्छा बताई। भगवान नारायण ने सब कुछ सुनकर उन्होंने कहा कि धारा धाम के अवंतीपुर गाँव में गरीब किसान उनका सबसे बड़ा भक्त है। यह सुनकर, नारदमुनि अतिथि के रूप में अवंतीपुर गाँव में किसान के घर गए और किसान को नोटिस करने लगे कि वह दिन भर में कितनी बार भगवान का नाम जपता है। नारदमुनि ने देखा कि किसान दिन में सुबह उठता है और रात को सोने से पहले केवल दो बार ही उसे भगवान का स्मरण होता है। उसे यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ और उसने सोचा कि शायद प्रभु के न्याय में कुछ गड़बड़ है। नारदमुनि वैकुंठ धाम गए और भगवान नारायण से कहा, "भगवान, आपका निर्णय कैसा है? मैं दिन भर आपके नाम का जाप करता रहता हूं और वह किसान दिन में केवल दो बार आपको याद करके आपका सबसे बड़ा भक्त बन गया।" तब भगवान नारायण ने नारदमुनि से कहा, "जब समय आएगा, तो तुम सब कुछ समझ जाओगे।"
कुछ दिनों बाद भगवान नारायण ने नारदमुनि को बुलाया और कहा, "मैं तुम्हें एक काम दूंगा। क्या आप इसे पूरा कर पाएंगे?" नारदमुनि ने कहा, "भगवान, आप जो कहेंगे, मैं वही करूंगा।" तब दरपहारी नारायण ने कहा कि आप देखते हैं कि कोनों में तेल से भरा कटोरा है, आपको एक बार अपने हाथ में तेल का कटोरा लेकर पृथिबी के एक चक्कर लगाना पोरगा, लेकिन बहुत सावधान रहें कि कटोरे से तेल की एक बूंद भी न गिरे। तो संसार का नाश हो जाएगा।" उसने कहा, "कोई चिंता नहीं, प्रभु, मैं तेल की एक बूंद भी जमीन पर गिरने नहीं दूंगा" |
इसके कुछ समय बाद, नारदमुनि वैकुंठधाम में भगवान नारायण के सामने आए और कहा, "भगवान, मेरी यात्रा पूरी हो गई है और तेल की एक बूंद भी जमीन पर नहीं गिरी है।" दरपहारी नारायण ने कहा "बहुत अच्छा नारद, लेकिन एक बात बताओ, इन दिनों में तुमने कितनी बार मेरा नाम गाया है"? नारदमुनि ने कहा "भगवान आपने कहा था कि यदि तेल की एक बूंद जमीन पर गिरती है तो पृथ्वी नष्ट हो जाएगी, इसलिए मेरा सारा ध्यान उस तेल के कटोरे पर था, मैं आपका नाम गाना भूल गया, मेरा अपराध मत लो। तब भगवान नारायण ने कहा "उस किसान दिवस में अपने सारे काम करता है, फिर भी वह मुझे दिन में दो बार याद करता है, और जब आप ऐसा करते हैं तो आप मुझे याद करना भूल गये।" तब नारदमुनि को अपनी गलती का एहसास हुआ, और उन्होंने अपने अहंकार के लिए भगवान से माफी मांगी।
मैं आप सभी से कहूंगा कि दिन में किसी समय सर्वशक्तिमान ईश्वर को याद करें, वह आपके मन के सभी अंधकारों को नष्ट कर देगा और आपको अपनी भक्ति के प्रकाश से रोशन करके आपको मोक्ष का मार्ग दिखाएगा।
Ekdom thik, tar kache nijeke sope daoyar anondoi alada....dine 1bar holei gratitude show kora dorkar....thank u r sorry to amra itthe boste bolchi , then tar kache noi kno?....shanti Pete hole do this at least one time in a day...
ReplyDeleteOm Namah Shivaya ❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏